आपकी स्क्रीन पर दिख रहे इस पोस्टर को आप बेहद ध्यान से पढ़ें, इसे पढ़कर आप समझ जाएंगे कि आखिर इस पोस्टर को स्थानीय अस्पताल के मुख्य गेट पर लगाने का असल मतलब है क्या???
इस पोस्टर में बड़े-बड़े शब्दों में साफ-साफ लिखा है….
👉👉चिकित्सालय/कार्यालयों में फोटोग्राफी/वीडियोग्राफी सम्बन्धी नियम
👉”शासकीय/निजी चिकित्सालयों/शासकीय कार्यालयों में बिना अनुमति फोटोग्राफी/वीडियोग्राफी करना कानूनी रूप से अपराध है।”
मतलब साफ है अस्पताल प्रशासन ने साफ चेतावनी दे दी है कि बिना अस्पताल प्रशासन की अनुमति के यदि आप किसी भी प्रकार से अस्पताल के अंदर या फिर बाहर फोटोग्राफी या फिर वीडियोग्राफी करते हुए पाये गये तो फिर आप परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें।
एक तरफ सूबे के उपमुख्यमंत्री और चिकित्सा मंत्री बृजेश पाठक औचक निरीक्षण करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे साथ ही वह अपने साथ चिकित्सा विभाग से जुड़े आला अधिकारियों को भी साथ लेकर चलते हैं ऐसे में अस्पतालों के औचक निरीक्षण को मीडिया कवरेज भी चाहिए क्योंकि जनता जनार्दन को यह कैसे पता चलेगा कि मंत्री जी के काम करने का तरीका नायाब है और वह इस बाबत औचक निरीक्षण करने में लगे हैं कि बदहाल अस्पतालों और खराब स्वास्थ्य सेवाओं में उनके इस कदम से धीरे-धीरे ही सही पर बदलाव तो होगा ???
अस्पताल प्रशासन के इस आदेश की यह कहकर जमकर आलोचना हो रही है कि यह तानाशाही रवैया अब अस्पतालों में भी शुरू हो गया…
अब अस्पतालों में होने वाली अव्यवस्थाओं और भ्रष्टाचार जिसका शिकार सैकड़ों मरीज़ और उनके परिजन होते आ रहे हैं उस पर कोई सवाल नहीं उठा पायेगा…
“निरंकुश”